शब्दों में संसार - एपिसोड 02 - कवि और कविता कवि , कुछ ऐसी तान सुनाओ , जिससे उथल-पुथल मच जाए , एक हिलोर इधर से आए , एक हिलोर उधर से आए , चकनाचूर करो जग को , गूँजे ब्रह्मांड नाश के स्वर से , रुद्ध गीत की क्रुद्ध तान है निकली मेरे अंतरतर से! नाश! नाश!! हा महानाश!!! की प्रलयंकारी आँख खुल जाए , कवि , कुछ ऐसी तान सुनाओ जिससे उथल-पुथल मच जाए। " विप्लव गान" करता यह कवि अपने दौर और आने वाले हर दौर के कवि को अंदर छुपी हिम्मत से वाकिफ करा रहा है। वह कह रहा है कि वक़्त ऐसे समय का आ चुका है जब शब्दों से ब्रह्मांड चूर-चूर करने होंगे , जब तानों में क्रोध जगाना होगा। कवि महानाश का आह्वान कर रहा है ताकि उस "प्रलयंकर" की तीसरी आँख खुल जाए और चहुं ओर उथल-पुथल मच जाए। कवि अपने शब्दों से क्रांति को जगा रहा है। शब्दों में संसार की इस दूसरी कड़ी में आज विश्व दीपक लाये हैं, कवि की कविता और उसकी स्वयं की जिंदगी से जुड़े कुछ सवाल. इस अनूठी स्क्रिप्ट को आवाज़ से सजा रहे हैं अनुराग शर्मा और संज्ञा टंडन. आज की कड़ी में आप सुनेगें हरिवंश राय बच्चन, रघुवीर सहाय, अज्ञय,